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विश्व धरोहर (UNESCO) भारत का “मराठा सैन्य परिदृश्य”(Maratha Military Landscape of India) — यूनेस्को में शामिल
भारत का “मराठा सैन्य परिदृश्य” (Maratha Military Landscape of India) — यूनेस्को में शामिल 🌍 क्या है “मराठा सैन्य परिदृश्य”?” … Read more
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भारत का “मराठा सैन्य परिदृश्य” (Maratha Military Landscape of India) — यूनेस्को में शामिल
🌍 क्या है “मराठा सैन्य परिदृश्य”?”
Maratha Military Landscape” यानी मराठा सैन्य परिदृश्य, छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके उत्तराधिकारियों द्वारा बनाए गए किलों, दुर्गों और युद्ध रणनीतियों का समुच्चय है। यह परिदृश्य ना केवल सैन्य दृष्टिकोण से अद्भुत है, बल्कि भारतीय स्थापत्य, भूगोल, संस्कृति और प्रशासन का भी श्रेष्ठ उदाहरण है।—
🏰 UNESCO द्वारा मान्यता – जुलाई 2024 में बड़ी उपलब्धि
📌 वर्ष: जुलाई 2024
📌 घोषणा स्थान: रियाद, सऊदी अरब में हुई 45वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक
📌 शामिल नाम: “Maratha Military Landscapes of India”
📌 धरोहर की श्रेणी: Cultural Heritage
📌 भारत का कुल 41वां UNESCO World Heritage Site
🛡️ क्यों खास है यह धरोहर?
मराठा सैन्य परिदृश्य को यूनेस्को ने निम्नलिखित कारणों से मान्यता दी:
1. रणनीतिक स्थानों पर स्थित किले: समुद्र, पहाड़ और घाटियों के बीच शानदार किले।
2. स्थानीय वास्तुकला: बिना विदेशी प्रभाव के स्वदेशी तकनीक से बने दुर्ग।
3. गणिमी कावा: छत्रपति शिवाजी महाराज की गुप्त युद्धनीति और छापामार शैली।
4 . प्राकृतिक और सांस्कृतिक एकता: किला और प्राकृतिक भूगोल का गहरा संबंध।—
🏞️ UNESCO में शामिल प्रमुख किले (5 किले):
भारत सरकार द्वारा 12 किलों का प्रस्ताव भेजा गया था, जिनमें से 5 किलों को फिलहाल विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया
1. राजगढ़ किला – पुणे
2. तोरणा किला – पुणे
3. साल्हेर किला – नासिक
4. शिवनेरी किला – जुन्नार (शिवाजी महाराज का जन्मस्थल)
5. लोहगढ़ किला – लोनावला के पास
(शेष किलों को भविष्य में जोड़ने की प्रक्रिया जारी है)—
📜 महत्वपूर्ण तथ्य:बिंदु विवरण
🔰 स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज (17वीं शताब्दी)
🧱 प्राकृतिक निर्माण शैली पहाड़ी इलाकों में पत्थर और मिट्टी से स्थानीय संसाधनों का प्रयोग
🛡️ सैन्य महत्व हर किले का अलग सैन्य उपयोग – भंडारण, शरण, आक्रमण, संचार
🎯 यूनेस्को उद्देश्य सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और वैश्विक मान्यता
📣 निष्कर्ष:
भारत का “मराठा सैन्य परिदृश्य” यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में केवल एक ऐतिहासिक पहचान नहीं, बल्कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज के दूरदर्शी नेतृत्व, स्थानीय प्रतिभा, और भारत की स्वदेशी युद्धनीति का अंतरराष्ट्रीय सम्मान है।यह गौरव पूरे देश के लिए है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी।
